फिर आई उसकी याद, कल रात चुपके-चुपके,
बहके मेरे जज़्बात, कल रात चुपके-चुपके..!!
दीवाना-वार हो के , हमने बहाए रात आंसू,
रोई ये कायनात, कल रात चुपके-चुपके !!
मेरी आँखें हुई पुर-नम, उनके दिए अश्कों से,
ये लाये वो सौगात, कल रात चुपके-चुपके !!
शह देते रहे हमको , वो दिखा के हुस्न का ज़लवा,
फिर खायी हमने मात, कल रात चुपके-चुपके !!
मेरी बे-बसी का मंज़र, नही देख पाया वो भी,
रोया था माहताब, कल रात चुपके-चुपके !!
रौशन थे जो बरसों से, तेरे वादे की लौ से 'वर्मा' ,
गुल गये चिराग, कल रात चुपके-चुपके !!
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दीवाना-वार हो के , हमने बहाए रात आंसू,
रोई ये कायनात, कल रात चुपके-चुपके !!
मेरी आँखें हुई पुर-नम, उनके दिए अश्कों से,
ये लाये वो सौगात, कल रात चुपके-चुपके !!
लाजवाब नज़्म है उपर की पाँक्तियाँ तो कमाल हैं बहुत बहुत बधाई|
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