बेटी को गले लगाते हुए ,
इक बाप भी , घबराने लगा है !
कौन है तेरा, रिश्ते में क्या है ,
बताते हुए , कुछ हकलाने लगा है !
सहमा हुआ सा , अब लोरी के बदले ,
अखब़ार की ख़बरें , सुनाने लगा है !
अब दिल की, तस्सली को गोया ,
लड़कों के कपडे ,पहनाने लगा है !
इक बेटी के बाप को ,हर चेहरा ,
अब ,दरिंदा नजर आने लगा है !
इस नए दौर , की तरक्की का ,
घिनोना रंग , नज़र आने लगा है !
द्रोपदी पुकार पे ,कृष्ण का आना ,
विश्वास कुछ , डगमगाने लगा है !
रोज , हवस का तांडव पढ़ कर ,
हर बाप , सजा सुनाने लगा है !
'कुरालीया '............ हर बेटी को अब ।
रानी झाँसी के ,किस्से सुनाने लगा है !