ग़ज़ल
रौशनी आग है आशिकों के लिए !
रात सोगात है दिलजलों के लिए !
वो सलामत रहें दिल दुखाएं सदा,
कर दुआ रोज तू दुश्मनों के लिए !
प्यार आदत हमारी नहीं छूटती,
हम बने ही नहीं दायरों के लिए !
दर्द सारे जहाँ का मुझे सोंप दो,
जान हाज़िर हमारी गमों के लिए !
नेमतें है सनम दे गया था हमे
गम जरूरी बना धडकनों के लिए !
गम उठाने को हम हैं खड़े सामने ,
हर ख़ुशी दे खुदा दोस्तों के लिए !
अन कही बात भी जान जाएँ सभी ,
हो अलग इक जहाँ शायरों के लिए !
यार पैगाम कितने पड़े रह गये
था पता भी जरूरी खतों के लिए !
कांपते कांपते मोन भी बोलता
शब्द मिलते नहीं जब लबों के लिए !
छोड़ संजीव उस बे वफा को भुला ,
आह इक छोड़ दे बादलों के लिए !
रौशनी आग है आशिकों के लिए !
रात सोगात है दिलजलों के लिए !
वो सलामत रहें दिल दुखाएं सदा,
कर दुआ रोज तू दुश्मनों के लिए !
प्यार आदत हमारी नहीं छूटती,
हम बने ही नहीं दायरों के लिए !
दर्द सारे जहाँ का मुझे सोंप दो,
जान हाज़िर हमारी गमों के लिए !
नेमतें है सनम दे गया था हमे
गम जरूरी बना धडकनों के लिए !
गम उठाने को हम हैं खड़े सामने ,
हर ख़ुशी दे खुदा दोस्तों के लिए !
अन कही बात भी जान जाएँ सभी ,
हो अलग इक जहाँ शायरों के लिए !
यार पैगाम कितने पड़े रह गये
था पता भी जरूरी खतों के लिए !
कांपते कांपते मोन भी बोलता
शब्द मिलते नहीं जब लबों के लिए !
छोड़ संजीव उस बे वफा को भुला ,
आह इक छोड़ दे बादलों के लिए !