आँख से टपका हुआ , इक़ बे रंग कतरा ,
तेरे दामन की पनाह पाता ,तो आंसू होता!

बात बात पे जो बहता रहा , वो पानी था ,
बिना ही बात जो आता , तो आंसू होता !


वस्ल में जागती आँखें ,पथरा गयी होतीं ,
पलक झपकते ही आता ,तो आंसू होता !



नींदों में ख़लल होता , जो मेरे ख्यालों का ,
आँख में ठहर ना पाता , तो आंसू होता !


आह ठंडी लिए खुलतीं , जो सुर्ख आँखें ,
होंठ भी फर्कने से आता , तो आंसू होता !



दर्द हो जाता दफ़न , बस हंसी ठहाकों में ,
'कुरालीया ' समझ ना पाता तो आंसू होता !