Saturday, February 27, 2010

होली मुबारक









सभी ब्लोगर दोस्तों को होली की शुभकामनाएं !

लेकिन जरा सुरक्षा से मनाएं !



श्रीमती निर्मला कपिला से रु-ब-रु






















श्रीमती निर्मला कपिला से रु-ब-रु

आनंद भवन क्लब नया नंगल के सभागार में २० फरवरी की शाम को एक साहित्यक समारोह का आयोजनअक्खर चेतना मंच नंगल द्वारा साहित्य कला प्रचार एवं प्रसार मंच नंगल के सहयोग से किया गया । इस समारोहका मुख्य मनोरथ नंगल की नामवर लेखिका श्रीमती निर्मला कपिला जी को साहित्य प्रेमियो एवं बुद्धिजीविओं के रु-ब-रु करवाना था । समारोह के मुख्य अतिथि पंजाबी पत्रिका प्रीत लड़ी की संपादिका बीबी पूनम सिंह एवं संचालक रत्तिकांत सिंह जी थे । प्रमुख व्यवसायी श्री राकेश नय्यर जी कि सरपरस्ती में चलने वाले इस समारोह में निर्मला कपिला जी ने अपने साहित्यक जीवन के अब तक के अनुभव श्रोताओं के समक्ष रखे । गौर तलब है कि निर्मला कपिला जी को जिले की प्रथम ब्लॉग लेखिका होने का सम्मान प्राप्त है । महिला ब्लोगरों की कई संस्थाओं द्वारा उन्हें परुस्कृत भी किया जा चूका है । उनकी रचनाये इन्टरनेट पर वीर बहूटी.ब्लागस्पाट.कॉम पर पढ़ी जासकती हैं ।
अक्खर चेतना मंच के सरपरस्त राकेश नय्यर , प्रधान देविंदर शर्मा , उप-प्रधान संजीव कुरालिया , सचिव राकेश वर्मा द्वारा श्रीमती निर्मला कपिला , बीबी पूनम सिंह , श्री रत्तिकांत सिंह को सम्मान- चिन्ह एवं शाल भेंट किये गये । मुख्य -अतिथि महोदया ने अपने वक्तव्य में निर्मला कपिला के लेखन पर सारगर्भित टिप्पणी की एवं उनकेब्लॉग लेखन कार्य की भरपूर सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी । उन्होंने मंच के प्रयासों की सराहना करने केसाथ-साथ प्रीत लड़ी के मौजूदा स्वरुप के बारे में भी श्रोताओं को अवगत करवाया । समारोह में नंगल के नामवरएवं देश विदेश में प्रसिद्ध ग़ज़ल-गायक श्री सुनील सिंह डोगरा ने अपनी मधुर आवाज़ का जादू बिखेरते हुए खूब समा बांधा । उन्होंने जहाँ श्रीमती कपिला की लिखी ग़ज़लों को स्वयम स्वरबद्ध करते हुए गायन किया वहाँ अपनी सुरीली आवाज़ में शिव कुमार बटालवी की रचनाये सुना कर भी खूब तालियाँ बटोरीं ।
इसी समारोह में एक छोटी सी कवि गोष्ठी का आयोजन भी किया गया । इसमें आनंद पुर साहिब से विशेष रूप से पधारीं ग़ज़ल लेखिका अनु बाला {किरना दा झुरमुट }, युवा शायर अमरजीत 'बेदाग़' , प्रो। योगेश चन्द्र सूद , अशोक राही , अम्बिका दत्त (मेहतपुर), एस डी शर्मा सहोड़ , सरदार बलबीर सिंह सैनी , ने अपनी कविताएं सुनाई ।श्री संजीव कुरालिया जी ने अपनी ताज़ा तरीन ग़ज़ल तरन्नुम में गाकर सभागार में उपस्थित श्रोताओं को अपने सम्मोहन में क़ैद कर लिया । मंच संचालन की जिम्मेवारी राकेश वर्मा ने निभाई ।

देर शाम करीब सवा नौ बजे तक चले इस समारोह में प्रमुख रंगकर्मी फुलवंत सिंह मनोचा ब्रिज मोहन ठेकेदार , देवराम धामी के इलावा , गुलज़ार सिंह कंग , रघुवंश मल्होत्रा , श्रीमती एवं श्री दर्शन कुमार , संजय सनन , डॉ।संजीव गौतम आर के कश्यप, श्री एम् एम् कपिला रविंदर शर्मा , ईशर सिंह चूचरा , भोला नाथ कश्यपसमाज-धर्म ), सुभाष शर्मा भी उपस्थित थे ।
अंत में अक्खर चेतना मंच के प्रधान देविंदर शर्मा एवं अन्य ने डॉ गौतम, सुनील डोगरा, एवं ब्रिज मोहन को सम्मान चिन्ह एवं शाल भेंट किये । देविंदर शर्मा जी ने अपने धन्यवाद भाषण में ये विश्वास दिलाया कि अकखर चेतना मंच ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन कर भविष्य में भी साहित्य के प्रचार एवं प्रसार में अपना योगदान देता रहेगा ।
----- संजीव कुरालीया
( उप प्रधान )
अकखर चेतना मंच

Wednesday, February 17, 2010

सूचना !

सभी ब्लोग्गर दोस्तो को ये जान कर अत्यंत हर्ष होगा कि
अक्खर चेतना मंच नया नंगल

आगामी २० फ़रवरी को शाम ६ बजे आनंद भवन क्लब नया नंगल के सभागार में एक साहित्यक समारोह का आयोजन करने जा रहा है ॥
इस कार्यक्रम में आप सब की जानी पहचानी ब्लोग्गर

श्रीमती निर्मला कपिला जी
को साहित्य -प्रेमियो के
रु--रु
करवाया जाएगा ...

उनकी लिखी चन्द गजलों का गायन विख्यात ग़ज़ल गायक
श्री सुनील डोगरा जी

अपनी मधुर आवाज़ में करेंगे ....
आप सभी सादर आमंत्रित हैं ...
----- संजीव कुरालीया
उप प्रधान
अक्खर चेतना मंच
नया नंगल

Tuesday, February 16, 2010

ग़ज़ल


दिल को , दस्तक देता रहता ,
धुन्दला ,धुन्दला एक फ़साना !

ख्वावों में है , एक ही मंज़र ,
उसका आना , उसका जाना !

हंसता गुल ,समझाए सबको ,
सच है , कल मेरा मुरझाना !

राह बदल लेता है , अक्सर ,
सीधा चला , कब ये ज़माना !

फूल खिला तो , लाश मिली ,
मुबारक , भंवरे का मर जाना !

कैसे रुके दिल, जब रोना चाहे,
यादें तो हैं, बस फ़कत बहाना !

"कुरालीया " दिल दरिया जैसा ,
डूबना लाजिम , सबने माना !

Sunday, February 14, 2010

मेरा महबूब !


सूक्षम का शिखर ,
नजाकत की लहर ,
कयामत का कहर ,
मेरा महबूब !

सूरज का मीत ,
सितारे सा शीत ,
रौशनी की जीत ,
मेरा महबूब !

सागर का नीर ,
धरती का धीर ,
पातळ का आखीर ,
मेरा महबूब !

चन्दन की महक ,
कोयल की चहक ,
हिरन की सहक ,
मेरा महबूब !
हीरे की चमक ,
नूर की दमक ,
अम्बर की धमक ,
मेरा महबूब !


कली की झलक ,
परी की पल्क ,
इशकी सबक ,
मेरा महबूब !

फकीरी मलाल ,
रब्बी ख़याल ,
गहरा स्वाल ,
मेरा महबूब !




कोई नज़म ,
जाने बज़म
मेरी कलम ,
मेरा महबूब !




वक़्त की आह ,
कुदरत की राह ,
फरिश्ते की चाह,
मेरा महबूब !




प्यारे दोस्त "संत वरदान को " सप्रेम भेंट




Saturday, February 13, 2010

चिड़िया


प्यार महोब्बत चिड़िया ऐसी,
जिसके सर पे दो दो चोंच !

अपना अपना करने वाले ,
मिलते ही मौका लेते नोंच !

आह : तो भरते तेरे दर्द की ,
होता अपनी कमर पे हाथ !

प्यार से आंसू पोछने वाले ,
पीठ के पीछे मारें लात !

भावनाओं का दाना खा खा ,
ये चिड़िया फल फूल रही है ,

बोली बदल सभी से बोले ,
हर दिल के अनुकूल रही है !

प्यार महोब्बत की ये चिड़िया,
कब किसको ,क्यूँ लेती नोंच ,

लाश बनादे, कब कोनसा रिश्ता ,
मिलती भी नहीं है कोई खरोंच !

इस चिड़िया के खाए लाखों ,
तस्वीरों में जड़े हुए हैं .

बुत्त बने हैं कितनों के ही ,
चोराहों में खड़े हुए हैं !

प्यार महोब्बत की ये चिड़िया,
हर मुख से गुणगान कराये ,

हर जिव्हा पे नाम इसी का ,
इसको नींद कभी ना आये ,

ना जाने किस पल डस ले ,
कब किस पे अमृत बरसाए !

दुनियां का हर इक रिश्ता ,
मानों जीभ में रहता लिपटा,

विष अमृत का खेल ये दुनियां ,
आदम आदम से है लिपटा !

कितनी ही चलती फिरती लाशें ,
इस धरती पे रेंग रही हैं ,

विष अमृत की बे रंग फुहारें ,
इक दूजे पे फेंक रही हैं !

झूठ कपट से भरी पोटली ,
हर धड के सर पे धरी है ,

ये चिड़िया खा गयी करोड़ों ,
फिर भी दुनियां हरी भरी है !

Monday, February 8, 2010

ग़ज़ल


पहले नहीं हम लुटने वाले ,आँखों के बाज़ार में !
जाने कितने टकरायें अभी , शीशे की दीवार में !

ख़त पढ़ते ही रो देंगे वो ,ऐसा तो गुमां ना था ,
तौबा कितना दम होता है , कागज़ की कटार में !

निसार उनपे क्या किया ,शायद कुछ हिसाब लगे ,
पाना तो होता ही नहीं , दिल के अंधे व्योपार में !

दर्दे बयां भी कर देंगे , कुछ बज़्मे रौनक बढ़ने दो ,
आखिर हंसी उड़ायें क्यूँ , हम अपनी दो चार में !

मेरा बुलाना , तेरा जाना , दोनों बातें तय हैं अब ,
"कुरालीया "वकत गंवाए क्यूँ , वादों की तकरार में !