दिल को , दस्तक देता रहता ,
धुन्दला ,धुन्दला एक फ़साना !
ख्वावों में है , एक ही मंज़र ,
उसका आना , उसका जाना !
हंसता गुल ,समझाए सबको ,
सच है , कल मेरा मुरझाना !
राह बदल लेता है , अक्सर ,
सीधा चला , कब ये ज़माना !
फूल खिला तो , लाश मिली ,
मुबारक , भंवरे का मर जाना !
कैसे रुके दिल, जब रोना चाहे,
यादें तो हैं, बस फ़कत बहाना !
"कुरालीया " दिल दरिया जैसा ,
धुन्दला ,धुन्दला एक फ़साना !
ख्वावों में है , एक ही मंज़र ,
उसका आना , उसका जाना !
हंसता गुल ,समझाए सबको ,
सच है , कल मेरा मुरझाना !
राह बदल लेता है , अक्सर ,
सीधा चला , कब ये ज़माना !
फूल खिला तो , लाश मिली ,
मुबारक , भंवरे का मर जाना !
कैसे रुके दिल, जब रोना चाहे,
यादें तो हैं, बस फ़कत बहाना !
"कुरालीया " दिल दरिया जैसा ,
डूबना लाजिम , सबने माना !
7 comments:
राह बदल लेता है , अक्सर ,
सीधा चला , कब ये ज़माना..
ये इंसान ही हैं जो ज़माने की राह बनाते हैं ......... अच्छा लिखा है .....
आपकी गजल बहुत ही लाजवाब लगी , आपसे एक विनम्र निवेदन है कि आप अपने प्रोफाइल से जलता हुआ फोटो बदल लें, इसे आप निवेदन संमझें, राय नहीं ,
अच्छे भाव हैं.
आप एक ब्लॉग अपने चित्रों का भी बनाएँ तो कितना अच्छा हो!
कैसे रुके दिल, जब रोना चाहे,
यादें तो हैं, बस फ़कत बहाना !
-शानदार!
य़ादे तो है फक़त बहाना ....
बहुत खूब...!!!
कमाल की शायरी है आपकी !!!!
सरल शब्दो मे गहरी बात कहने का अन्दाज़ निराला है आप का !!!!
---- राकेश वर्मा
मैं क्या कहूँ आपकी रचनायें ही नही हर बात निराली है। एक दिन सबको आपकी सभी खासियतें बताऊँगी । बहुत बहुत आशीर्वाद हैाप जैसे बच्चे भगवान सब को दे।
अच्छा लगा आपको पढ़कर.
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