चोट ताज़ा है अभी , थोडा मुस्कुराने दो !
वकत लगेगा अभी ,दर्दे दिल सुनाने को !
गुमा नहीं था, इस कदर चोट खायेंगे ,
ठगे से रह गए , बस तिलमिलाने को !
लम्हें चुनने दो , ख्यालों के खंज़र से ,
लुटे हैं कितने , हिसाब तो लगाने दो !
जितने चाहो , किस्से बुनते रहना ,
सच आँखों में , सिमट तो जाने दो !
जो हुआ , सरे महफ़िल तो हुआ है ,
जो जेसा सुनाता है , बस सुनाने दो !
"कुरालीया " सब सच बयां कर देगा ,
सब्र करो , साँसें ठहर तो जाने दो !