रात इक ख़्वाब ने , फिर हमको जगाया रात भर !
सिसकियाँ बन के, तमाशाई ने हंसाया रात भर !!
दे गया ज़हन को , यूँ बिछड़ी हुयी यादों का भंवर ,
मैं ढूंढ़ता ही रह गया , ना लौट के आया रात भर !
ये तो तय है कोई, अपना ही था जगाने वाला ,
ना जाने कितनी ही ,शक्लों से मिलाया रात भर !
सिसकियाँ बन के, तमाशाई ने हंसाया रात भर !!
दे गया ज़हन को , यूँ बिछड़ी हुयी यादों का भंवर ,
मैं ढूंढ़ता ही रह गया , ना लौट के आया रात भर !
ये तो तय है कोई, अपना ही था जगाने वाला ,
ना जाने कितनी ही ,शक्लों से मिलाया रात भर !
2 comments:
"yeh to tai hai ki koi apna hi tha jagaane vala..."
wah... kya baat hai...!!!!
वाह वाह क्या बात है कुरालिया जी तभी तो आज जब आप्को देखा था तो सोये सोये से लग रहे थे। वैसे मुझे पता है कि रात की ड्यूटी पर बास ने ही जगाया होगा। हा हा हा। रचना बहुत अच्छी है। ढेरों आशीर्वाद ।
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