Sunday, March 21, 2010

चोट


चोट ताज़ा है अभी , थोडा मुस्कुराने दो !
वकत लगेगा अभी ,दर्दे दिल सुनाने को !

गुमा नहीं था, इस कदर चोट खायेंगे ,
ठगे से रह गए , बस तिलमिलाने को !

लम्हें चुनने दो , ख्यालों के खंज़र से ,
लुटे हैं कितने , हिसाब तो लगाने दो !

जितने चाहो , किस्से बुनते रहना ,
सच आँखों में , सिमट तो जाने दो !

जो हुआ , सरे महफ़िल तो हुआ है ,
जो जेसा सुनाता है , बस सुनाने दो !

"कुरालीया " सब सच बयां कर देगा ,
सब्र करो , साँसें ठहर तो जाने दो !




14 comments:

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

समय ही दिल का घाव भरता है.....

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

समय ही दिल का घाव भरता है.....

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Lamhe chunne do, khyalon ke khanjar se,
Lut hain kitne, hisaab to lagaane do!
Umda abhivyakti!
www.myexperimentswithloveandlife.blogspot.com
(A Bachelor in Punjab!)

हरकीरत ' हीर' said...

गुमा नहीं था, इस कदर चोट खायेंगे ,
ठगे से रह गए , बस तिलमिलाने को !

balle ki gall ho gai .....???

लम्हें चुनने दो , ख्यालों के खंज़र से ,
लुटे हैं कितने , हिसाब तो लगाने दो !

lga ke aaiyega ......!!

दिगम्बर नासवा said...

लम्हें चुनने दो , ख्यालों के खंज़र से ,
लुटे हैं कितने , हिसाब तो लगाने दो !

क्या बात लिखी है ... लाजवाब ...नये अंदाज़ के शेर हैं ...

AKHRAN DA VANZARA said...

चोट ताज़ा है अभी मुस्कुराने दो .......
वाह भई वाह क्या बात है ..!!!!!!!

Urmi said...

बहुत बढ़िया और लाजवाब लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! उम्दा प्रस्तुती!

Urmi said...

दिल को छू गयी ! बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! बधाई!

दीपक 'मशाल' said...

एक अच्छी सी ग़ज़ल लाने के लिए आपका आभार सर जी और संजीव जी को बधाई..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

लम्हें चुनने दो , ख्यालों के खंज़र से ,
लुटे हैं कितने , हिसाब तो लगाने दो !

बहुत भावुक सी गज़ल..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत ही सुन्दर रचना है!
--
लगता है कि बहुत गहरा घाव खाये हो!

संजय पाराशर said...

अत्यंत सुन्दर रचना ...चित्र भी अनोखा

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

खूबसूरत लिखा आपने..चित्र भी निराला.
_________________________
अब ''बाल-दुनिया'' पर भी बच्चों की बातें, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ, उनके ब्लॉगों की बातें , बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ और भी बहुत कुछ....आपकी भी रचनाओं का स्वागत है.

Urmi said...

बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!