चोट ताज़ा है अभी , थोडा मुस्कुराने दो !
वकत लगेगा अभी ,दर्दे दिल सुनाने को !
गुमा नहीं था, इस कदर चोट खायेंगे ,
ठगे से रह गए , बस तिलमिलाने को !
लम्हें चुनने दो , ख्यालों के खंज़र से ,
लुटे हैं कितने , हिसाब तो लगाने दो !
जितने चाहो , किस्से बुनते रहना ,
सच आँखों में , सिमट तो जाने दो !
जो हुआ , सरे महफ़िल तो हुआ है ,
जो जेसा सुनाता है , बस सुनाने दो !
"कुरालीया " सब सच बयां कर देगा ,
सब्र करो , साँसें ठहर तो जाने दो !
14 comments:
समय ही दिल का घाव भरता है.....
समय ही दिल का घाव भरता है.....
Lamhe chunne do, khyalon ke khanjar se,
Lut hain kitne, hisaab to lagaane do!
Umda abhivyakti!
www.myexperimentswithloveandlife.blogspot.com
(A Bachelor in Punjab!)
गुमा नहीं था, इस कदर चोट खायेंगे ,
ठगे से रह गए , बस तिलमिलाने को !
balle ki gall ho gai .....???
लम्हें चुनने दो , ख्यालों के खंज़र से ,
लुटे हैं कितने , हिसाब तो लगाने दो !
lga ke aaiyega ......!!
लम्हें चुनने दो , ख्यालों के खंज़र से ,
लुटे हैं कितने , हिसाब तो लगाने दो !
क्या बात लिखी है ... लाजवाब ...नये अंदाज़ के शेर हैं ...
चोट ताज़ा है अभी मुस्कुराने दो .......
वाह भई वाह क्या बात है ..!!!!!!!
बहुत बढ़िया और लाजवाब लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! उम्दा प्रस्तुती!
दिल को छू गयी ! बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! बधाई!
एक अच्छी सी ग़ज़ल लाने के लिए आपका आभार सर जी और संजीव जी को बधाई..
लम्हें चुनने दो , ख्यालों के खंज़र से ,
लुटे हैं कितने , हिसाब तो लगाने दो !
बहुत भावुक सी गज़ल..
बहुत ही सुन्दर रचना है!
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लगता है कि बहुत गहरा घाव खाये हो!
अत्यंत सुन्दर रचना ...चित्र भी अनोखा
खूबसूरत लिखा आपने..चित्र भी निराला.
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बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!
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